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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत में आर्यो का प्रवेश

     कक्षा 6 की सरकारी किताब में लिखा भी गया है। की आर्य विदेशी है और भारत मे घुसपैठिये है। मुगल चले गये, अंग्रेज चले गए लेकिन सबसे पहले आर्यो ने भारत मे घुसपैठ की परन्तु वो नही गये।        इस पुस्तक के पन्ने में लिखा है कि आर्य भ्रमण के लिए घोड़ो का प्रयोग करते थे। आज जिन दलितों को घोड़ी पर बैठने का विरोध होता है। ये विरोध उन आर्यो व उन घोड़ो से मेल खाता है।।       आर्य अभी तक गये नही भारत से  आर्यो की पहचान ये है।  संविधान का विरोधी आर्य है। आरक्षण का विरोधी आर्य है। लोकतंत्र का विरोधी आर्य है। SC/ST/OBC/MIN के अधिकारों का विरोधी आर्य है।     और ये आर्य कोई और नहिं हिन्दू धर्म के ठेकेदार ही हैं।      कुछ लोग तर्क करने के बजाय गाली गलौज करेंगे। <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-5460100888476302"      crossorigin="anonymous"></script> जय भीम जय भारत नमोः बुद्धाय

पुराणों मे भगवान बुद्ध का ब्राह्मणीकरण | बुध्द जी को ब्राह्मणों ने कैसे भगवान बताया

 ●पुराणों मे भगवान बुद्ध का ब्राह्मणीकरण●      नमो बुद्धाय शुद्धाय (स्कंदपुराण, अवन्ती, 42/14)   मत्स्यः कूर्मों वराहश्च नरसिंहोअ्थ वामनः । रामो रामश्च कृष्णश्च बुद्धः कल्कि श्च ते दश।।   अर्थात --,मत्स्य, कूर्म, वराह,नरसिंह, वामन, राम (परशुराम),राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्की, -ये दश अवतार है ।भगवान बुद्ध नौवा अवतार है । (क) नमः कृष्णाय बुद्धाय नमो मलेच्छप्रणाशिने                  (भूमि 18/66) (ख) प्रलम्बहन्त्रे शितिवाससे नमो, नमोअ्स्तू बुद्धाय च दैत्यमोहिने ।। (सृष्टि 73/92) (प्रलय के विनाशक बलराम को नमस्कार,  दैत्यों को मोहने वाले बुद्ध को नमस्कार हो ) दैत्यानां नाशनार्थाय विष्णुना बुद्धरूपिणा।                              (,उत्तर, 263/69-70) नमोअ्स्तुहयरूपाय त्रिविक्रम नमोअ्स्तु ते । नमोअ्स्तु बुद्धरूपाय रामरूपाय कल्किने ।।                              (ब्रह्मपुराण, 122/69) अर्थात--हय (घोडे) का रूप धारण करने वाले त्रिविक्रम ( = विष्णु) आपको नमस्कार है ।हे बुद्ध का रूप धारण करने वाले ,हे राम का रूप धारण करने वाले और हे कल्की का अवतार धारण करने वाले तुम्हे नमस्कार हो । अपि पापसमाचाराः मोक

7 नवंबर | विश्व विधार्थी दिवस | world student day

 आज 7 नवंबर है, आज ही के दिन बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने पहली कक्षा में दाखिला लिया था  किसको पता था कि उस वक़्त का नन्हा सा बालक एक झटके में 5000 सालो के राजतंत्र को लोकतंत्र में बदल देगा.. इसलिए इस दिन को "विश्व विधार्थी दिवस" के नाम से जाना जाता है        विद्यार्थि दिवस की आप सभी को शुभकामनाएं। #world_students_day  <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-5460100888476302"      crossorigin="anonymous"></script> जय भीम जय भारत नमोः बुद्धाय बी.एल. बौद्ध

हर हर महादेव, मे महादेव एक बौद्ध भिखु थे जो बौद्ध मार्ग को नार्थ इंडिया से साउथ इंडिया मे ले गए | महादेव | हर हर महादेव

 हर हर महादेव, मे महादेव एक बौद्ध भिखु थे जो बौद्ध मार्ग को नार्थ इंडिया से साउथ इंडिया मे ले गए सम्राट असोक के समय मे, फिर साउथ इंडिया से महादेव थेर के अनुयायी बढ़ने लगे, संघ बढ़ा तो हर हर महादेव भी प्रचलित हुआ, फिर 9th सेंचुरी मे केरल से शैव मार्ग उभरा, जिसे प्रच्छन्न बौद्ध भी कहा गया. लोग अब भी हर हर महादेव कर रहे है बस महादेव का मतलब शिव समझा दिया धूर्त ने। पर सच्चाई कब तक छुपती?  सीरीलंका के दीप वंश परम्परा के लेखनी की आखिरी किताब कही जाने वाली शासन वंश ने पोल खोल ही दी। Reference : शासन वंश (बुद्ध धम्म का इतिहास)  न जय भीम जय भारत नमोः बुद्धाय बी.एल. बौद्ध

मनु_स्मृति_का_काला_सच! | मनुस्मृति

 #मनु_स्मृति_का_काला_सच! ⚫”यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना  चाहिए । : ऐतरेय ब्राह्मण (3/24/27) “ ⚫ वही नारी उत्तम है जो पुत्र को जन्म दे। (35/5/2/47)  ⚫पत्नी एक से अधिक पति ग्रहण नहीं कर सकती, लेकिन पति चाहे कितनी भी पत्नियां रखे।  :आपस्तंब (1/10/51/52) बोधयान धर्म सूत्र (2/4/6) शतपथ ब्राह्मण (5/2/3/14)  ⚫ जो नारी अपुत्रा है, उसे त्याग देना चाहिए। : तैत्तिरीय संहिता (6/6/4/3)  ⚫पत्नी आजादी की हकदार नहीं है।  : शतपथ ब्राह्मण (9/6) ⚫ केवल सुन्दर पत्नी ही अपने पति का प्रेम पाने की अधिकारिणी है।  :बृहदारण्यक उपनिषद् (6/4/7) ⚫ यदि पत्नी सम्भोग के लिए तैयार न हो तो उसे खुश करने का प्रयास करो। यदि फिर भी न माने तो उसे मार -पीट कर वश में करो।  : मैत्रायणी संहिता (3/8/3) ⚫ नारी अशुभ है। यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना चाहिए। अर्थात् नारी और शूद्र कुत्ते के समान हैं। (1/10/11) ⚫ नारी तो एक पात्र (बरतन) समान है। महाभारत (12/40/1)  ⚫ नारी से बढ़कर अशुभ कुछ नहीं है। इनके प्रति मन में कोई ममता नहीं होनी चाहिए। (6/33/32) ⚫ पिछले जन्मों के पाप से नारी का जन्म होता है । :

कार्तिक पूर्णिमा का बुद्ध-धम्म में महत्व |

 कार्तिक-पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा का बुद्ध-धम्म में महत्व 18-19 नवम्बर 2021 कार्तिक पूर्णिमा है! कार्तिक पूर्णिमा के परम पुनीत अवसर पर सभी देशवासियों को -    हार्दिक मँगल मैत्री ,      सब का मँगल हो,      सब की स्वस्ति-मुक्ति हो।     1) लोकगुरु शाक्यमुनि तथागत भगवान गोतम बुद्ध द्वारा , संघ के प्रथम 60 अर्हत भिक्खुओं को लोक मे सद्धम्म की संस्थापना व कल्याण हेतु चारों दिशाओं में जाकर धम्म प्रचार का निम्वनवत शब्दों में अनुशासन दिया था—            चरथ, भिक्खवे, चारिकं -      बहुजनहिताय      बहुजनसुखाय       लोकानुकंपाय,      अत्थाय हिताय सुखाय देवमनुस्सानं।        देसेथ, भिक्खवे, धम्मं -      आदिकल्याणं,       मज़्झेकल्याण,    परियोसानकल्याणं ,     सात्थं-सव्यंजनं,                             केवलं,परिपुण्णं परिसुद्धं        ब्रह्मचरियं पकासेथ’। "    2) तथागत बुद्ध द्वारा जटिल उरूवेला कस्सप की धम्मदीक्षा ।    3) तथागत बुद्ध द्वारा सारिपुत्त व मोग्गल्लान की धम्मदीक्षा ।      4) धम्मसेनापति सारिपुत्त के तीन भाई -     चुंद समणोद्देस,       उपसेन व       रेवत (खादिर वनिय रेवत) और       

सिंधुघाटी सभ्यता के सृजनकर्ता शूद्र और वणिक

 सिंधुघाटी सभ्यता के सृजनकर्ता शूद्र और वणिक... सन 1882 में विश्व प्रसिद्ध इतिहासकार सर मैक्समूलर ' ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपने भाषण में कहा था कि -हम इतिहास क्यों पढ़ते हैं ? केवल यह जानने के लिए कि हमारे पूर्वज कौन थे ? यानी वे भौतिक रूप से कौन थे ? कैसे थे.?.वे क्या सोचते थे ? क्या करते थे ? उनके धार्मिक आचार -विचार और विश्वास क्या थे ? मैक्समूलर महोदय की इतिहास की इस परिभाषा को ध्यान में रखते हुए हम यह कह सकते हैं कि भारत के प्राचीन काल पर लिखा इतिहास आर्य क्षत्रिय तथा ब्राह्मणों का इतिहास बनाकर लिखा गया है,उसके बाद का राजपूतों का इतिहास भी उच्च वर्ग का इतिहास ही कहा जा सकता है,तदुपरांत मुस्लि म सम्राटों ,नवाबों का और अन्त में अंग्रेज लार्डो का इतिहास लिखा गया,मगर इस देश के मूल आदिवासी शूद्र तथा वणिकों का , जिनकी जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का 85 प्रतिशत है का इतिहास कभी लिखा ही नहीं गया इस प्रकार यह पुस्तक शूद्रों ( वणिक ) की उत्पत्ति व इतिहास पर लिखी गई प्रथम विश्व विशुद्ध रचना कही जा सकती है.    सन् 1856 ई .में मुल्तान - लाहौर रेलवे लाइन के 100 मील के हिस्से के निर्

पूना पैक्ट क्या है? | बाबा साहब ने पूना पैक्ट समझौते पर हस्ताक्षर क्यों किए संपूर्ण जानकारी

    पूना पैक्ट क्या है?       ----------------------------------  बाबा साहेब ने अछूतों की समस्याओं को ब्रिटिश सरकार के सामने रखा था....   और उनके लिए कुछ विशेष सुविधाएँ प्रदान किये जाने की मांग की....   बाबा साहेब की तर्कसंगत बातें मानकर ब्रिटिश सरकार ने विशेष सुविधाएँ देने के लिए बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जी का आग्रह मान लिया.....   और 1927 में साइमन कमीशन भारत आया,     मिस्टर गांधी को साइमन कमीशन का भारत आना पसंद नहीं आया,   अतः उन्होंने जबर्दस्त नारे लगवाया, "साइमन कमीशन गो बैक"   बाबा साहेब ने ब्रिटिश सरकार के सामने यह स्पष्ट किया कि....   अस्पृश्यों का हिन्दुओं से अलग अस्तित्व है....   वे गुलामों जैसा जीवन जी रहे है,   इनको न तो सार्वजानिक कुओं से पानी भरने की इज़ाज़त है न ही पढ़ने लिखने का अधिकार है,   हिन्दू धर्म में अछूतों के अधिकारों का अपहरण हुआ है....   और इनका कोई अपना अस्तित्व न रहे इसी लिए इन्हें हिन्दू धर्म का अंग घोषित करते रहते है....   सन 1930, 1931, 1932, में लन्दन की गोलमेज कॉन्फ्रेंस में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जी ने अछूत कहे जाने वाले समाज की वकालत की....   उ

संविधान की उद्देशिका | संविधान | भारत का संविधान

 "  "संविधान की उद्देशिका हमारे संविधान की उद्देशिका में बहुत ही भव्य और महान शब्दों का प्रयोग हुआ है,' हम भारत के लोग ' ,भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न ( WE , THE PEOPLE OF INDIA having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN )  1 - समाजवादी ( SOCIALIST ) : उत्पादन तथा वितरण के साधन पूर्णतया या अंशतया राज्य के स्वामित्व अथवा नियंत्रण में होने चाहिए, 2 - धर्मनिरपेक्ष ( SECULAR ) : वह राज्य जो धर्म की व्यक्तिगत तथा समवेत स्वतंत्रता प्रदान करता है, संवैधानिक रूप से किसी धर्म विशेष से जुड़ा हुआ नहीं है,और जो धर्म का न तो प्रचार करता है तथा न ही उसमें हस्तक्षेप करता है. 3 - लोकतंत्रात्मक गणराज्य ( DEMOCRATIC REPUBLIC ) : ऐसा राज्य जिसमें चुने हुए अध्यक्ष तथा जनप्रतिनिधियों की सरकार होती है,जिसमें जनता सर्वोच्च होती है तथा कोई विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग नहीं होता है. 4 - न्याय ( JUSTICE ) : न्याय में सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक न्याय शामिल है, संविधान की उद्देशिका में न्याय को स्वतंत्रता ,समानता और बंधुता के सिद्धांतों से ऊंचा स्थान दिया गया है. 5 - स्वतंत

बौद्ध विश्वविद्यालय अलेक्जेंड्रिया को किसने जलाया था? | अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय

 बौद्ध विश्वविद्यालय अलेक्जेंड्रिया को किसने जलाया था?  नालंदा की तरह अलेक्जेंड्रिया इजिप्त की बड़ी लायब्रेरी थी और मध्य आशिया तथा पश्चिमी जगत का महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय था| इस विश्वविद्यालय का निर्माण थेरापुटी (Therapeuty) और इस्सेन (Essene) नामक बौद्ध भिक्खुओं ने किया था, जिन्हें सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजा था| नालंदा विश्वविद्यालय की तरह अलेक्जेंड्रिया बौद्ध विश्वविद्यालय भी अत्यंत विशाल था और उसमें दुनिया के सभी ग्रंथ सुरक्षित रखें गये थे|  ख्रिश्चन धर्म का निर्माण बौद्ध थेरापुटी और इस्सेन प्रचारकों ने किया था, जिसमें बौद्ध भिक्खु बर्णबा और सेंट पौल का महत्वपूर्ण योगदान था| लेकिन बौद्ध धर्म से ख्रिश्चन धर्म अलग दिखाने के लिए कुछ कट्टरपंथी ख्रिश्चन बिशप लोगों ने सन 325 में निसिया (Nicaea) शहर में पहली ख्रिश्चन धर्म सभा आयोजित कर दी थी, जिसमें बौद्ध धर्म से संबंधित सभी बातों को पाखंड ( Heresy) घोषित कर दिया गया और ख्रिश्चन धर्म को बौद्ध धर्म से अलग और स्वतंत्र धर्म घोषित किया गया| बौद्ध धर्म और ख्रिश्चन धर्म को जोडनेवाले असंख्य सबुत ग्रंथों के रूप में अलेक्जेंड्र

तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय | दुनिया की पहली युनिवर्सिटी

 **तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय** तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय माना जाता है. ये तक्षशिला शहर में था, जो प्राचीन भारत में गांधार जनपद की राजधानी और एशिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. माना जाता है विश्वविद्यालय छठवीं से सातवीं ईसा पूर्व में तैयार हुआ था. इसके बाद से यहां भारत समेत एशियाभर से विद्वान पढ़ने के लिए आने लगे. इनमें चीन, सीरिया, ग्रीस और बेबीलोनिया भी शामिल हैं. फिलहाल ये पंजाब प्रांत के रावलपिंडी जिले की एक तहसील है और इस्लामाबाद से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. पहली बार साल 1863 में जमीन के नीचे दबे इस महान विश्वविद्यालय के अवशेष मिले. इसके बाद से इस जगह की भव्यता के बारे में कई बातें सामने आ चुकी हैं. सोचने की बात है कि जिसे दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी कहते हैं, वो आखिर कैसे खत्म हो गया. लेकिन इससे पहले थोड़ा वहां की समृद्धि के बारे में जानते हैं. ये पूरी तरह से विकसित शहर था, जहां पक्के मकान, पानी के निकासी की व्यवस्था, बाजार और मठ, मंदिर थे. ये व्यापार का भी बड़ा केंद्र था और मसालों, मोतियों, चंदन, रेशम जैसी

हुसैन सागर/झील में बुद्ध मूर्ति स्थापना : 1 दिसंबर | हैदराबाद के हुसैन सागर झील में बुद्ध प्रतिमा

 हुसैन सागर/झील में बुद्ध मूर्ति स्थापना : 1 दिसंबर  हुसैन सागर (हैदराबाद, तेलंगाना) भारत की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। यह हैदराबाद को अपने जुड़वां नगर सिकंदराबाद से अलग करती है। इस झील के बीचों बीच गौतम बुद्ध की देश की सबसे बड़ी अखंड बुद्ध प्रतिमा है। इसकी स्थापना इस झील में एक दिसंबर 1992 को की गई थी। इस प्रतिमा को 200 शिल्पियों ने गणपति सतपथी की अगुवाई में तकरीबन दो साल के समय में तैयार किया था।  इस प्रतिमा को हैदराबाद से 60 किलोमीटर दूर रायगीर की पहाड़ियों के पास निर्मित किया गया था। प्रतिमा की ऊंचाई 17 मीटर है और इसका वजन 320 टन है। इसे रायगीर से यहां तक लाने के लिए बड़ी जुगत लगाई गई थी। कुल 192 पहियों वाले विशेष वाहन से इसे रायगीर से यहां तक लाया गया था। रात में इस बुद्ध प्रतिमा को देखने का अपना अलग आनंद है। रोशनी में नहाई बुद्ध प्रतिमा और भी सुंदर लगती है।  बुद्ध प्रतिमा के पास बुद्ध वंदना और त्रिशरण मंत्र लिखे गए हैं। यहां आने वाले सैलानी बुद्ध को हर कोण से निहार लेना चाहते हैं।  सबसे बड़ी मानव निर्मित झील हुसैन सागर झील का निर्माण एक समय में जल संकट के दौरान शहर को पानी उप

अशोक चक्र का अर्थ समझीए

!!! सत्यमेव जयते !!! प्रिय बंधु जन.... ये जीवन सच्चे दिल से राष्ट्र को समर्पित है ,हम सच्चे राष्ट्र प्रेमी हैं और हम एक महान शांति पूर्ण राष्ट्र निर्माण के लिए कुछ भी कर सकते हैं ,भारत सहित पुरे विश्व में  रहने वाला हर एक प्राणी हमारे परिवार का सदस्य है ,और हम सब एक हैं।  हम सब मानव सर्वप्रथम सिर्फ एक इंसान हैं उसके बाद जो जिस देश का रहने वाला इंसान है वो अपने जीवन के अंत तक उस देश का नागरिक है ।  प्रकृति के संविधान के अनुसार विश्व के सभी प्राणी एक समान हैं । विश्व शान्ति के प्रतीक, विश्व ज्ञान दीप, विश्व गुरु महानव  शाक्य मुनि तथागत गौतम बुद्ध के धम्म के अनुसार    बहुजन हिताय    बहुजन सुखाय संसार को अपना घर समझो सभी मानव एक समान जन हित के लिए जियो जन हित के लिए मरो पशु, पंछियों, छोटे जीव जंतु और पेड़ पौधों पर दया करो  स्वयं जियो शांति से और दूसरों को जीने दो शांति से विश्व धम्म विजेता देवनाम प्रियदर्शी सम्राट असोक महान के अनुसार सर्वलोक हित से बढ़कर दूसरा कोई कार्य नहीं समता                        स्वतंत्रता न्याय                          बंधुता [हम  एक इंसान हैं और अपने देश के संविधा

तथागत बुद्ध ने ज्ञान के सार को कुल 55 बिंदुओं में समेट दिया *

 *तथागत बुद्ध ने ज्ञान के सार को कुल 55 बिंदुओं में समेट दिया *             👉 चार - आर्य सत्य             👉 पाँच - पंचशील              👉 आठ - अष्टांगिक मार्ग और               👉 अड़तीस - महामंगलसुत  👉 *बुद्ध के चार आर्य सत्य*     1. दुनियाँ में दु:ख है।      2. दु:ख का कारण है।      3. दु:ख का निवारण है। और      4. दु:ख के निवारण का उपाय है।               ********** *पंचशील* 1. हिंसा न करना 2. झूँठ न बोलना 3. चोरी नहीं करना 4. व्यभिचार नहीं करना और 5. नशापान/मद्यपान नहीं करना                    ******** *अष्टांगिक मार्ग* 1. सम्यक दृष्टि (दृष्टिकोण) /Right view 2. सम्यक संकल्प / Right intention 3. सम्यक वाणी / Right speech 4.  सम्यक कर्मांत/ Right action 5. सम्यक आजीविका/ Right livelihood (profession) 6. सम्यक व्यायाम / Right exersie (physical activity) 7. सम्यक स्मृति / Right mindfulness 8. सम्यक समाधि / Right meditation (Vpasana Meditation)           *********** *तथागत बुद्ध ने 38 प्रकार के मंगल कर्म बताये है जो महामंगलसुत के नाम से भी जाना जाता है, निम्न प्रकार है 2. बुद्धिमानों

क्या गोतम बुद्ध क्षत्रिय थे ? | बुद्ध जी कौन से वर्ण के थे? | शाक्य वंश के बारे में

 क्या गोतम बुद्ध क्षत्रिय थे ? ––––––––––––––       नागों के गणतंत्रीय समाज में जातियां नहीं होती थीं, इसलिए उनके समाज में जातिव्यवस्था (कथित वर्णव्यवस्था) भी नहीं थी। साक्यों का सम्बंध नागों से ही था। अतः जब शाक्यगणसंघ में जाति या वर्ण ही नहीं होते थे, तब साक्यमुनि बुद्ध को क्षत्रिय भी नहीं बताया जा सकता। परन्तु कुछ महायानी ब्राह्मण लेखकों ने सुत्तों के प्रक्षिप्त अंशों, कालान्तर में लिखे गए सुत्तों, ओक्काक एवं खत्तीय शब्द, तथा कथनों की मनमानी व्याख्या के आधार पर साक्यमुनि बुद्ध को इक्ष्वाकु और क्षत्रिय बताया है।        अपने तटस्थ विश्लेषण को आगे बढाने से पहले कुछ सुत्तों के उन अंशों को देख लेते हैं जिनको पढ़कर यह भ्रम पैदा होता है कि गोतम बुद्ध क्षत्रिय या ब्राह्मण जातीय थे-  (i) अम्बट्ठ-सुत्त के अनुसार-   " ... तब भगवान ( बुद्ध ) ने अम्बट्ठ माणवक से कहा- “किस गोत्र के हो, अम्बट्ठ।” “काष्णर्यायन हूँ, हे गौतम ।” “अम्बट्ठ ! तुम्हारे पुराने नाम गोत्र के अनुसार ... तुम साक्यों के दासी-पुत्र हो ! अम्बष्ट ! साक्य, राजा ओक्काक को पितामह कह धारण करते हैं। पूर्वकाल में अम्बट्ठ ! राजा ओक्क

सूबेदार मेजर रामजी सकपाल का परिनिर्वाण दिवस 2 फरवरी 1913 को हुआ | भीमराव अंबेडकर जी के पिताजी राम जी सतपाल का जीवन इतिहास

सुबेदार  मेजर रामजी सकपाल परिनिर्वाण दिवस :2 फरवरी.. (14.11.1843--2.2.1913)   2.2.1951 डॉ.अंबेडकर जी के भतीजे मुकुंदराव आनंदराव अंबेडकर जी का देहांत।     डॉ. भीमराव अम्बेडकर का पैतृक गाँव अम्बावाड़े महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के छोटे शहर से पाँच मील दूरी पर है । उनके दादा मालोजी सकपाल ईस्ट इंडिया कंपनी के बम्बई सेना के हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए थे । उनका कहना था कि युद्ध में बहादुरी के एवज में उन्हें कुछ भूमि आवंटित की गई है । कहा जाता है कि मालोजी सकपाल की दो संताने रामजी (पुत्र) और मीरा बाई (पुत्री) थी ।     रामजी सकपाल का जन्म 14 नवम्बर 1843 को हुआ था ।    अपने पिता की तरह रामजी भी सेना में शामिल हो गये, उनके रेजि   रामजी सकपाल का जन्म 14 नवम्बर 1843 को हुआ था ।    अपने पिता की तरह रामजी भी सेना में शामिल हो गये, उनके रेजिमेंट के सूबेदार मेजर धर्मा मुखाडकर थे जो महार जाति के थे । मेजर धर्मा महाराष्ट्र के पाडे जिले के मुखाड गांव के निवासी थे । उनका परिवार क्षेत्र का सम्मानित परिवार था और उनके सभी सातो भाई ब्रिटिश सेना में महत्वपूर्ण ओहदों पर थे । धीरे-धीरे रामजी सकपाल और मेजर धर

बाबा साहब की अस्थियां आगरा में कब रखी गई | बाबा साहब की हस्तियां आगरा में किसके द्वारा रखी गई

   बाबा साहब की अस्थियां आगरा में : 13 फरवरी....   आगरा के पूर्वोदय चक्कीपाट बुद्ध विहार में रखी है बाबा साहेब की अस्थियां..    13.2.1957 को बाबासाहेब के पुत्र यशवंत राव अंबेडकर द्वारा उनकी अस्थियां आगरा लाई गईं और पूर्वोदय चक्कीपाट बुद्ध विहार में स्थापित की गयी है। हर वर्ष छह दिसम्बर को डॉ. अंबेडकर के महापरिनिवार्ण दिवस पर ये अस्थियां जनता के दर्शनार्थ बुद्ध विहार में रखी जाती हैं।       पूर्वोदय चक्कीपाट बुद्ध विहार की ज़मीन रक्षा विभाग की है और वह इस ऐतिहासिक बौद्ध विहार को हटाने के लिए बार बार कहता है। भदंत ज्ञान रत्न महाथेरा भारत सरकार से अपील करते हुए कहते है की इस ज़मीन को रक्षा विभाग से लेकर हमे दिया जाये ताकि हम बाबा साहेब की याद में भव्य स्मारक का निर्माण करा सके। विहार के हालत अभी खस्ता है।    18.3.1956 को रामलीला मैदान, आगरा में सभा करने के बाद बाबा साहब ने पूर्वोदय चक्कीपाट में तथागत बुद्ध की प्रतिमा अपने हाथों से स्थापित की जो आज भी पूर्वोदय बुद्ध विहार में देखी जा सकती है।      जुलाई 1957 को बौद्ध भिक्षु कौडिन्य ने आगरा आकर विशाल बुद्ध विहार का निर्माण कराया। 1967 में इसक

क्रांति महानायक संत गाडगे महाराज जी का जीवन परिचय | संत गाडगे महाराज की जयंती कब मनाई जाती है

 क्रांति महानायक संत गाडगे महाराज जी को उनके जन्म पर कोटि कोटि नमन  सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ती आंदोलन जनसेवा आकाश के चमकते सूरज महान संत गाडगे महाराज जनसेवा आकाश के चमकते सूरज महान संत गाडगे महाराज को 23 फरवरी को उनके जन्मदिवस पर देश के करोड़ो बहुजनों का विनम्र अभिवादन... महाराष्ट्र के अकोला जिले के शेणपुर गांव में 23 फरवरी, 1876 को धोबी जाति के अत्यंत गरीब झिंगराजी और सखूबाई के घर में एक बालक ने जन्म लिया. माता-पिता ने बालक का नाम डेबू रखा. यही बालक आगे चलकर गाडगे बाबा के नाम से विख्यात हो गया.. पिता झिंगराजी का 1884 में निधन हो गया. उस समय बालक डेबू की उम्र मात्र आठ वर्ष की थी. माँ सखुबाई को बच्चों को लेकर पिता के घर दापुरे में शरण लेनी पड़ी.. जहां से वे कभी शेणपुर नहीं गई.. बालक डेबू को नाना के घर पशुपालन व खेतीबाड़ी में काम बंटाना पड़ता था. डेबू बचपन से ही सफाई पसंद था.. उसी काल में शिक्षा से वंचित रखे गये हिन्दू समाज को सभी दलित जातियों में अज्ञानता, अंधविश्वास, गरीबी, शराबखोरी आदि विद्यमान थे. गंदे वातावरण के रहने एवं अच्छे भोजन के अभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते थे