सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बौद्ध विश्वविद्यालय अलेक्जेंड्रिया को किसने जलाया था? | अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय

 बौद्ध विश्वविद्यालय अलेक्जेंड्रिया को किसने जलाया था? 


नालंदा की तरह अलेक्जेंड्रिया इजिप्त की बड़ी लायब्रेरी थी और मध्य आशिया तथा पश्चिमी जगत का महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय था| इस विश्वविद्यालय का निर्माण थेरापुटी (Therapeuty) और इस्सेन (Essene) नामक बौद्ध भिक्खुओं ने किया था, जिन्हें सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजा था| नालंदा विश्वविद्यालय की तरह अलेक्जेंड्रिया बौद्ध विश्वविद्यालय भी अत्यंत विशाल था और उसमें दुनिया के सभी ग्रंथ सुरक्षित रखें गये थे| 


ख्रिश्चन धर्म का निर्माण बौद्ध थेरापुटी और इस्सेन प्रचारकों ने किया था, जिसमें बौद्ध भिक्खु बर्णबा और सेंट पौल का महत्वपूर्ण योगदान था| लेकिन बौद्ध धर्म से ख्रिश्चन धर्म अलग दिखाने के लिए कुछ कट्टरपंथी ख्रिश्चन बिशप लोगों ने सन 325 में निसिया (Nicaea) शहर में पहली ख्रिश्चन धर्म सभा आयोजित कर दी थी, जिसमें बौद्ध धर्म से संबंधित सभी बातों को पाखंड ( Heresy) घोषित कर दिया गया और ख्रिश्चन धर्म को बौद्ध धर्म से अलग और स्वतंत्र धर्म घोषित किया गया| बौद्ध धर्म और ख्रिश्चन धर्म को जोडनेवाले असंख्य सबुत ग्रंथों के रूप में अलेक्जेंड्रिया लायब्रेरी में मौजूद थे| इसलिए, ख्रिश्चन बिशप थिओफिलस के प्रभाव में आकर सम्राट थिओडोसियस ने सन 391 में उस लायब्रेरी को जलाने का आदेश दिया था| बिशप थिओफिलस भी उस लायब्रेरी का महत्वपूर्ण विद्वान और सदस्य था, लेकिन अपनी चोरी छुपाने के लिए सबुत मिटाना जरुरी था| इसलिए उसने जानबूझकर खुद आग लगाई और प्राचीन विश्व की महत्वपूर्ण विरासत खासकर बौद्ध विरासत जला डाली| 


उस समय अलेक्जेंड्रिया लायब्रेरी की प्रमुख एक महिला थी, जिसका नाम हायपतिया (Hyptia) था और वह अत्यंत विद्वान महिला थी| वह बौद्ध प्रचारक थी इसलिए कट्टर ख्रिश्चन विद्वान उसे पुराणमतवादी (Pagan) समझते थे, लेकिन सामान्य पागान और ख्रिश्चन लोग उसका अत्यंत सम्मान करते थे| सन 415 में कट्टरपंथी ख्रिश्चन समुदाय ने अलेक्जेंड्रिया लायब्रेरी जलाते समय उसे भी मार डाला था| हायप्तिया ने जलानेवालो का अपनी अंतिम सांस तक विरोध किया था, इसलिए कट्टरपंथीयों ने उसे मार दिया था| 


प्राचीन ख्रिश्चन लोगों ने भले ही हायप्तिया को मार डाला था, लेकिन पश्चिमी जगत के सभी ख्रिश्चन लोग वर्तमान में हायप्तिया को बहुत मानते हैं| इसलिए, वर्तमान में पश्चिमी जगत  के लोग उसे "सेंट कैथेरीन ओफ अलेक्जेंड्रिया" के नाम से लोग सन्मानित करते हैं| आखिरी बुद्धिस्ट-ग्रीक विद्वान (The last Hellenic philosopher) और महिला अधिकारों का प्रतीक के रूप में आज भी हायप्तिया को देखा जाता है|







जय भीम नमो: बुध्दाय  

बी.एल. बौद्ध


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हमारा देश खतरे में क्यों है जानिए

 समय निकालकर पूरा जरुर पढेI 1 :- जब दो वोट के अधिकार के लिए बाबा साहब लंदन में अंग्रेजों से लड़ रहे थे। तो उस समय मो० अली जिन्ना और सर आगार खां नाम के दो मुसलमान भाइयो ने बाबा साहब का साथ दिया था। . 2 :- जब ज्योतिबा फुले हमारे लिए पहली बार स्कूल खोल रहे थे तब उस समय उस्मान शेख नाम के मुसलमान भाई ज्योतिबा फुले को  जमीन दिया था। . 3 :- माता सावित्री बाई फुले को उस्मान शेख की बहन फातिमा शेख ने सावित्री बाई फुले का साथ दिया और पहली शिक्षिका भी हुई। . 4 :- जब बाबा साहब हमें पानी दिलाने के लिए सत्यग्रह कर रहे थे तो उस सत्यग्रह को करने के लिए जमीन मुसलमान भाइयों ने दिया था। . 5 :- बाबा साहब को संविधान लिखने के लिए संविधान सभा में नहीं जाने दिया जा रहा था, तब बंगाल के 48% मुसलमान भाइयों ने ही बाबा साहब को चुनकर संविधान में भेजा था। खुद हमारे अपने लोगो ने वोट नही दिया था बाबा साहब को। . 6) मुसलमान टीपू सुल्तान ने हमारी बहन बेटी को तन ढकने का अधिकार दिया था अन्यथा हिन्दू ब्राह्मण के  कारण हमारी बहन बेटी को स्तन खुलें रखने के लिए मजबूर किया गया था 😢 . हमारा दुश्मन मुसलमान नही है। हम...
 क्रांतिकारी जय भीम  सिंधु घाटी की सभ्यता से यह  बात साबित होती है कि  सिंधु घाटी की सभ्यता पुरुष प्रधान सत्ता नहीं थी    सिंधु घाटी की सभ्यता स्त्री प्रधान सत्ता थी स्त्री ही घर की प्रमुख हुआ करती थी मुझे यह बताने की जरूरत नहीं  स्त्री प्रधान  सत्ता के कारण सिंधु घाटी की सभ्यता एक उन्नत सभ्यता थी  आर्यों के भारत पर कब्जा करने  के साथ ही   भारत का परिदृश्य बदल गया  भारत  अचानक पुरुष प्रधान देश बन गया स्त्री दमन सोशण का पर्याय बन गई   जो स्त्री कल तक घर की  प्रधान हुआ करती थी उसकी तक़दीर में पति के साथ सती होना लिख दिया गया  कल तक जिस स्त्री के फैसले परिवार के लिए  मान्य होते थे  उसे स्त्री के तकदीर में देवदासी होना लिख दिया गया बिना उसकी  मर्जी के लोग उसका फैसला करने लगे  सिंधु घाटी की उन्नत सभ्यता यह बताने के लिए काफी है कि स्त्रियों का   बौद्धिक स्तर  कितना ऊंचा और कितना बेहतर रहा होगा   स्त्रियों को दिमाग से विकलांग बनाने के लिए और उनका बौद्धिक स्तर नीचे ग...

सम्मान के लिए बौद्ध धर्म परिवर्तन करें --

 सम्मान के लिए धर्म परिवर्तन करें ----- "डा.बी.आर.अम्बेडकर" सांसारिक उन्नति के लिए धर्म परिवर्तन चाहिए मैंने निश्चय कर लिया है कि मैं धर्म परिवर्तन अवश्य करूंगा, सांसारिक लाभ के लिए धर्म परिवर्तन नहीं करूंगा आध्यात्मिक भावना के अलावा और कोई मेरा ध्येय नहीं है,हिन्दू धर्म के सिद्धांत मुझे अच्छे नहीं लगते ये बुद्धि पर आधारित नहीं हैं,मेरे स्वाभिमान के विरुद्ध हैं आपके लिए आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों दृष्टिकोण से धर्म परिवर्तन बहुत जरूरी है, कुछ लोग सांसारिक लाभ के लिए धर्म परिवर्तन करने की कल्पना का उपहास करते हैं,मरने के बाद आत्मा का क्या होगा इसे कौन जानता है ? वर्तमान जीवन में जो सम्मानपूर्वक जीवन नहीं बिता सकता उसका जीवन निरर्थक है आत्मा की बातें करने वाले ढ़ोंगी हैं,धूर्त हैं, हिन्दू धर्म में रहने के कारण जिनका सब कुछ बर्बाद हो चुका हो ,जो अन्न और वस्त्र के लिए मोहताज बन गए हों,जिनकी मानवता नष्ट हो चुकी है ऐसे लोग सांसारिक लाभ के लिए विचार न करें तो क्या वे आकाश की ओर टकटकी लगाए देखते रहेंगे या अगले जन्म में सुखी होने का स्वप्न देखते रहेंगे,पैदाइशी अमीरीपन और मुफ्तखोरीपन ...