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तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय | दुनिया की पहली युनिवर्सिटी

 **तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय**


तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय माना जाता है. ये तक्षशिला शहर में था, जो प्राचीन भारत में गांधार जनपद की राजधानी और एशिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. माना जाता है विश्वविद्यालय छठवीं से सातवीं ईसा पूर्व में तैयार हुआ था. इसके बाद से यहां भारत समेत एशियाभर से विद्वान पढ़ने के लिए आने लगे. इनमें चीन, सीरिया, ग्रीस और बेबीलोनिया भी शामिल हैं. फिलहाल ये पंजाब प्रांत के रावलपिंडी जिले की एक तहसील है और इस्लामाबाद से लगभग 35 किलोमीटर दूर है.


पहली बार साल 1863 में जमीन के नीचे दबे इस महान विश्वविद्यालय के अवशेष मिले. इसके बाद से इस जगह की भव्यता के बारे में कई बातें सामने आ चुकी हैं.


सोचने की बात है कि जिसे दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी कहते हैं, वो आखिर कैसे खत्म हो गया. लेकिन इससे पहले थोड़ा वहां की समृद्धि के बारे में जानते हैं. ये पूरी तरह से विकसित शहर था, जहां पक्के मकान, पानी के निकासी की व्यवस्था, बाजार और मठ, मंदिर थे. ये व्यापार का भी बड़ा केंद्र था और मसालों, मोतियों, चंदन, रेशम जैसी चीजों का व्यापार हुआ करता.




अब विश्वविद्यालय की बात करें तो यहां छात्र विज्ञान, गणित, व्याकरण और कई विषयों की शिक्षा लेते थे. माना जाता है कि यहां पर लगभग 64 विषय पढ़ाए जाते हैं, जिनमें राजनीति, समाज और विज्ञान भी शामिल था.


इसका पता 1863 में लगा, जब पुरातात्विक खुदाई के दौरान जनरल कनिंघम को यहां के अवशेष मिले. इससे शहर के अलग-अलग पहलू खुलते गए. बता दें 5वीं ईस्वीं में चीन से बौद्ध भिक्षु फाहियान यहां आए थे और उन्होंने शहर के साथ विश्वविद्यालय को अपने पूरे वैभव में देखा. हालांकि 7वीं ईस्वीं में चीन के एक अन्य भिक्षु श्यानजांग को शहर में वीरानी और मलबा ही दिखा. आज भी यहां पर तोड़ी हुई मूर्तियों और बौद्ध प्रतिमाओं के अवशेष मिलते हैं.


यूनेस्को ने साल 1980 में तक्षशिला को विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया. इसके बाद से यहां बड़ी संख्या में सैलानी और खासकर स्थानीय पाकिस्तानी पर्यटक आते हैं.





जय भीम नमो: बुध्दाय  


जय भीम नमो: बुध्दाय  

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