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पुराणों मे भगवान बुद्ध का ब्राह्मणीकरण | बुध्द जी को ब्राह्मणों ने कैसे भगवान बताया

 ●पुराणों मे भगवान बुद्ध का ब्राह्मणीकरण● 


    नमो बुद्धाय शुद्धाय (स्कंदपुराण, अवन्ती, 42/14)

  मत्स्यः कूर्मों वराहश्च नरसिंहोअ्थ वामनः ।

रामो रामश्च कृष्णश्च बुद्धः कल्कि श्च ते दश।।

  अर्थात --,मत्स्य, कूर्म, वराह,नरसिंह, वामन, राम (परशुराम),राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्की, -ये दश अवतार है ।भगवान बुद्ध नौवा अवतार है ।

(क) नमः कृष्णाय बुद्धाय नमो मलेच्छप्रणाशिने 

                (भूमि 18/66)

(ख) प्रलम्बहन्त्रे शितिवाससे नमो, नमोअ्स्तू बुद्धाय च दैत्यमोहिने ।। (सृष्टि 73/92)

(प्रलय के विनाशक बलराम को नमस्कार,

 दैत्यों को मोहने वाले बुद्ध को नमस्कार हो )


दैत्यानां नाशनार्थाय विष्णुना बुद्धरूपिणा।

                             (,उत्तर, 263/69-70)


नमोअ्स्तुहयरूपाय त्रिविक्रम नमोअ्स्तु ते ।

नमोअ्स्तु बुद्धरूपाय रामरूपाय कल्किने ।।

                             (ब्रह्मपुराण, 122/69)

अर्थात--हय (घोडे) का रूप धारण करने वाले त्रिविक्रम ( = विष्णु) आपको नमस्कार है ।हे बुद्ध का रूप धारण करने वाले ,हे राम का रूप धारण करने वाले और हे कल्की का अवतार धारण करने वाले तुम्हे नमस्कार हो ।

अपि पापसमाचाराः मोक्षवन्तः प्रकीर्तिताः ।

शायसिंहहाद् बुद्धसिंह ः पितुरर्ध कृतं पदम।

                   (विषयपुराण,.4/12/27-28)

पुराणकार आगे कहता है कि बौद्धों ने पापियों को भी मोक्ष प्राप्त करने के योग्य घोषित कर दिया शाक्यसिंह से बुद्धसिंह पैदा हुआ और उसने पिता के पद को इधा बना दिया ।

    लगता है कि बुद्ध को अपने भगवान का रूप बताना पुराणकारों की विवशता थी ।जब चारों ओरब्राह्मणों के यज्ञों की निन्दा  हो रही थी, उनके देवी-देवताओं की उपेक्षा हो रही थी तब उन्हें(ब्राह्मणों --पंडा, पुरोहितों को ) दान -दक्षिणा कौन देता। ?ऐसे में उस बुद्ध को अपने भगवान का अवतार बनाकर भुनाना ही एक मात्र मार्ग उन्हें प्रतीत हुआ ।

ब्राह्मण, पंडो-पुरोहितों, पुराणकारों, कथावाचकों और प्रवचनकर्ता ने बुद्ध को इसलिए अपनाया था ताकि बुद्धिज्म के प्रचार प्रसार के कारण उनकी जो दूकान बंद हुई थी उसकी बिक्री फिर से बढाई जा सके अर्थात बुद्ध का ब्राह्मणीकर :---

   पुनर्बुद्धः संमोहाय सुरद्वीषाम् ।

  देवादीनां रक्षणाय अधर्महरणाय च।

दुष्टानां च वधार्था अवतिरं करोति ।।

         ( गरूडपुराण,.1/145/40-41)

इस पुराण का कहना है कि दैत्यों-दानवो के सम्मोह, देवो की रक्षा,अधर्म का नाश और दुष्टों के वध के लिए अवतार लेते है ।

" पुराणों में बुध " 






जय भीम जय भारत नमोः बुद्धाय


बी.एल. बौद्ध

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