सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मनु_स्मृति_का_काला_सच! | मनुस्मृति

 #मनु_स्मृति_का_काला_सच!


⚫”यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना 

चाहिए ।

: ऐतरेय ब्राह्मण (3/24/27) “


⚫ वही नारी उत्तम है जो पुत्र को जन्म दे। (35/5/2/47) 


⚫पत्नी एक से अधिक पति ग्रहण नहीं कर सकती, लेकिन पति चाहे कितनी भी पत्नियां रखे। 

:आपस्तंब (1/10/51/52) बोधयान धर्म सूत्र (2/4/6) शतपथ ब्राह्मण (5/2/3/14) 


⚫ जो नारी अपुत्रा है, उसे त्याग देना चाहिए।

: तैत्तिरीय संहिता (6/6/4/3) 


⚫पत्नी आजादी की हकदार नहीं है। 

: शतपथ ब्राह्मण (9/6)


⚫ केवल सुन्दर पत्नी ही अपने पति का प्रेम पाने की अधिकारिणी है। 

:बृहदारण्यक उपनिषद् (6/4/7)


⚫ यदि पत्नी सम्भोग के लिए तैयार न हो तो उसे खुश करने का प्रयास करो। यदि फिर भी न माने तो उसे मार -पीट कर वश में करो। 

: मैत्रायणी संहिता (3/8/3)


⚫ नारी अशुभ है। यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना चाहिए। अर्थात् नारी और शूद्र कुत्ते के समान हैं। (1/10/11)


⚫ नारी तो एक पात्र (बरतन) समान है। महाभारत (12/40/1) 


⚫ नारी से बढ़कर अशुभ कुछ नहीं है। इनके प्रति मन में कोई ममता नहीं होनी चाहिए। (6/33/32)


⚫ पिछले जन्मों के पाप से नारी का जन्म होता है ।

: मनुस्मृति (100) 


⚫ पृथ्वी पर जो भी कुछ है वह ‘ब्राह्मण’ का है। 

: मनुस्मृति (101) 


⚫ दूसरे लोग ब्राह्मणों की दया के कारण सब पदार्थों का भोग करते हैं।

: मनुस्मृति (11-11-127) 


⚫ मनु ने ब्राह्मण को संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष अधिकार दिया है। वह तीनों वर्णों से बलपूर्वक धन छीन सकता है अथवा चोरी कर सकता है।

: मनुस्मृति (4/165 – 4/166) 


⚫ जान बूझकर या क्रोध से जो तिनके से भी ‘ब्राह्मण’ को मारता है, वह इक्कीस जन्मों तक ‘बिल्ली-योनि’ में पैदा होता है। 

: मनुस्मृति (5/35) 


⚫ जो ब्राह्मण मांस नहीं खाएगा वह इक्कीस जन्मों तक ‘पशु योनि’ में पैदा होगा । 

: मनुस्मृति (64 श्लोक) 


⚫ अछूत जातियों के छूने पर स्नान करना चाहिए।

: गौतम धर्मसूत्र (2-3-4)


⚫ यदि शूद्र किसी वेद को पढ़ते सुन लें, तो उसके कानों में पिघला हुआ सीसा या लाख डाल देनी चाहिए।

: मनुस्मृति (8/21-22) 


⚫ ब्राह्मण चाहे अयोग्य हो उसे न्यायाधीश बनाया जाए नहीं तो राज मुसीबत में फंस जाएगा।


⚫ यदि कोई ब्राह्मण को दुर्वचन कहेगा तो वे मृत्युदण्ड के अधिकारी हैं। 

: मनुस्मृति (8/270)


⚫ यदि कोई ब्राह्मण पर आक्षेप करे तो उसकी जीभ काट कर दण्ड दें।

: मनुस्मृति (5/157) 

⚫ विधवा का विवाह करना घोर पाप है।


 ⚫ विष्णुस्मृति में स्त्री को सती होने के लिए उकसाया गया है, तो ‘शंख स्मृति’ में दहेज देने के लिए प्रेरित किया गया है।


 ‘देवल स्मृति’ में किसी को भी बाहर देश जाने की मनाही है।


 ‘बृहदहरित स्मृति’ में बौद्ध भिक्षु तथा मुण्डे हुए सिर वालों को देखने की मनाही है। 


‘गरुड़ पुराण’ पूरे का पूरा अंधविश्वास का पुलिंदा है, जिसमें ब्राह्मण को गाय दान करने तथा उसके हाथ मृतकों का गंगा में पिण्डदान करने के लिए कहा गया है। कहने का अर्थ है कि इस पुराण में ब्राह्मणों की रोजी-रोटी का पूरा प्रबन्ध किया गया है।


 इस प्रकार हम देखते हैं कि यह ब्राह्मण साहित्य इस देश को कितना पीछे ले गया और भारत की गुलामी का एक बड़ा कारण रहा।


 इस पर एक अंग्रेज इतिहासकार ‘एडमंड बर्क’ लिखते हैं कि ‘हिन्दू समाज क्योंकि आर्थिक तौर पर भ्रष्ट और अन्यायी था। अतः वे अपने देश को स्वतन्त्र नहीं रख पाए और भारत को सदियों तक गुलामी के कष्ट भोगने पड़े।’


 इस सम्बन्ध में भारतवर्ष के महान् विचारक तथा विद्वान् स्वामी विवेकानन्द ने कहा था, ‘एक देश जहां लाखों लोगों को खाने को कुछ नहीं, मगर जहां कुछ हजार व्यक्ति तथा ब्राह्मण गरीबों का खून चूसते हैं। हिन्दुस्तान एक देश नहीं, जिंदा नरक है। यह धर्म और मौत का नाच है।’ 


स्कन्द पुराण की तो पूरी शिक्षा ही देशद्रोही है। कहते हैं कि नारी के विधवा होने पर उसके बाल काट दो, सफेद कपड़े पहना दो और उसको खाना केवल इतना दो कि वह जीवित रह सके। उसका पुनः विवाह करना पाप है।


 ऐसे नियमों को पौराणिक ब्राह्मणों ने राजपूत जैसी जातियों से मनवाया, इसी कारण सती प्रथा का प्रचलन हुआ। विधवा औरत ने सोचा कि इससे अच्छा तो पति के साथ ही जलकर मरना हैं।


नोट:- आप इसे गूगल पर सर्च कर सकते हैं यह जानकारी गूगल से प्राप्त की गई है


जय भीम जय भारत जय भारतीय संविधान जय मूलनिवासी


जागो बहुजन समाज के लोगों जागो 




बी.एल. बौद्ध

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अशोक चक्र का अर्थ समझीए

!!! सत्यमेव जयते !!! प्रिय बंधु जन.... ये जीवन सच्चे दिल से राष्ट्र को समर्पित है ,हम सच्चे राष्ट्र प्रेमी हैं और हम एक महान शांति पूर्ण राष्ट्र निर्माण के लिए कुछ भी कर सकते हैं ,भारत सहित पुरे विश्व में  रहने वाला हर एक प्राणी हमारे परिवार का सदस्य है ,और हम सब एक हैं।  हम सब मानव सर्वप्रथम सिर्फ एक इंसान हैं उसके बाद जो जिस देश का रहने वाला इंसान है वो अपने जीवन के अंत तक उस देश का नागरिक है ।  प्रकृति के संविधान के अनुसार विश्व के सभी प्राणी एक समान हैं । विश्व शान्ति के प्रतीक, विश्व ज्ञान दीप, विश्व गुरु महानव  शाक्य मुनि तथागत गौतम बुद्ध के धम्म के अनुसार    बहुजन हिताय    बहुजन सुखाय संसार को अपना घर समझो सभी मानव एक समान जन हित के लिए जियो जन हित के लिए मरो पशु, पंछियों, छोटे जीव जंतु और पेड़ पौधों पर दया करो  स्वयं जियो शांति से और दूसरों को जीने दो शांति से विश्व धम्म विजेता देवनाम प्रियदर्शी सम्राट असोक महान के अनुसार सर्वलोक हित से बढ़कर दूसरा कोई कार्य नहीं समता                        स्वतंत्रता न्याय                          बंधुता [हम  एक इंसान हैं और अपने देश के संविधा

भारत में प्रथम संरक्षण व्यवस्था कब शुरू हुई

 दक्षिण भारत के एक स्मारक स्तंभ में लिखा है ...   -महात्मा ज्योतिबा फुले- शूद्र आंदोलन के पहले क्रांतिकारी महानायक थे,महात्मा ज्योतिबा फुले जिन्होंने भारत में व्याप्त मनुवाद की नींव हिलाकर समूचे भारत के बहुजनों को जाग्रत कर आंदोलित कर दिया- (ज्योतिबा फुले -१८२७-१८९ ० ) 1827-1890 -छत्रपति शाहूजी महाराज- ( १८७४-१९ २२ ) 1874-1922 शूद्र आंदोलन के दूसरे महापुरुष थे छत्रपति शाहू जी महाराज वे विश्व प्रसिद्ध छत्रपति शिवाजी महराज के वंशज और कुर्मी जाति के थे एवं ओबीसी के सदस्य थे, महाराष्ट्र के कोल्हापुर राज्य के राजा थे,उनके पिताजी के समय से उन्होंने देखा कि राज कर्मचारी सभी ब्राह्मण थे,शाहू जी महाराज १ ९ ०२  (1902) में राजा बनने के बाद राज्य में शूद्रों के लिए ५० % (50%) पद संरक्षित कर दिया,भारत के इतिहास में यह प्रथम संरक्षण व्यवस्था शुरू हुई,पूर्व बंगाल में महा मनीषी श्री गुरु चाँद ठाकुर नें भी १ ९ ०७  1907 में अविभक्त बंगाल में प्रथम संरक्षण व्यवस्था चालू की, शाहू जी महाराज शूद्रों के लिए राजकोष से उनके लिए स्कूल कॉलेज एवं हॉस्टल का निर्माण किया.  शूद्र आंदोलन के तीसरे मनीषी दक्षिण भारत के

शूद्रों का सच्चा इतिहास जाने

 शूद्रों का सच्चा इतिहास,,,,,,,, आज भारत के बाहर निकलों तो सारी दुनिया को भारत का इतिहास पता है। अगर केाई भारतीय विदेशियों को अपना इतिहास बताता है तो सभी विदेशी बहुत हंसते है, मजाक बनाते है। सारी दुनिया को भारत का इतिहास पता है, फिर भी भारत के 95 प्रतिशत लोगो को अंधेरे में रखा गया है। क्योकि अगर भारत का सच्चा इतिहास सामने आ गया तो ब्राम्हणों, राजपूतों और वैश्यों द्वारा समाज के सभी वर्गो पर किये गए अत्याचार सामने आ जायेंगे, और देश के लोग हिन्दू नाम के तथाकथित धर्म की सच्चाई जानकर हिन्दू धर्म को मानने से इंकार कर देंगे। कोई भी भारतवासी हिन्दू धर्म को नहीं मानेगा। ब्राम्हणों का समाज में जो वर्चस्व है, वो समाप्त हो जायेगा। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि भारत में कभी देवता थे ही नहीं, और न ही असुर थे। ये सब कोरा झूठ है, जिसको ब्राम्हणो ने अपने अपने फायदे के लिए लिखा था, और आज ब्राम्हण वर्ग इन सब बातों के द्वारा भारत के समाज के हर वर्ग को बेवकुफ़ बना रहा है। अगर आम आदमी अपने दिमाग पर जोर डाले और सोचे, तो सारी सच्चाई सामने आ जाती है। ब्राम्हण, राजपूत और वैश्य ईसा से 3200 साल पहले में भारत मंे आय