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कार्तिक पूर्णिमा का बुद्ध-धम्म में महत्व |

 कार्तिक-पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा का बुद्ध-धम्म में महत्व


18-19 नवम्बर 2021 कार्तिक पूर्णिमा है!

कार्तिक पूर्णिमा के परम पुनीत अवसर पर सभी देशवासियों को - 

  हार्दिक मँगल मैत्री , 

    सब का मँगल हो, 

    सब की स्वस्ति-मुक्ति हो।


    1) लोकगुरु शाक्यमुनि तथागत भगवान गोतम बुद्ध द्वारा ,

संघ के प्रथम 60 अर्हत भिक्खुओं को लोक मे सद्धम्म की संस्थापना व कल्याण हेतु चारों दिशाओं में जाकर धम्म प्रचार का निम्वनवत शब्दों में अनुशासन दिया था—

   

       चरथ, भिक्खवे, चारिकं -

     बहुजनहिताय 

    बहुजनसुखाय 

     लोकानुकंपाय,

     अत्थाय हिताय सुखाय देवमनुस्सानं। 

      देसेथ, भिक्खवे, धम्मं -

     आदिकल्याणं,

      मज़्झेकल्याण,

   परियोसानकल्याणं ,

    सात्थं-सव्यंजनं,                        

    केवलं,परिपुण्णं परिसुद्धं

       ब्रह्मचरियं पकासेथ’। " 


  2) तथागत बुद्ध द्वारा जटिल उरूवेला कस्सप की धम्मदीक्षा ।


   3) तथागत बुद्ध द्वारा सारिपुत्त व मोग्गल्लान की धम्मदीक्षा ।


     4) धम्मसेनापति सारिपुत्त के तीन भाई -

    चुंद समणोद्देस, 

     उपसेन व 

     रेवत (खादिर वनिय रेवत) और 


      5) धम्मसेनापति सारिपुत्त कि तीन बहनें -

       चाला, 

     उपचाला, 

     सिसूपचाला को भिन्न-भिन्न वर्षों में धम्मदीक्षा प्राप्त हुई ।


   6) भिक्खु उरूवेला कस्सप का

     परिनिब्बान ।


    7) धम्म सेनापति सारिपुत्त का नालाग्राम में

     परिनिब्बान ।


     8) देवानंपिय (बुद्ध/अर्हत/देवों के प्रिय)

     राजा चक्रवर्ती सम्राट अशोक  महान का परिनिब्बान दिवस -

                           

     " महापवण्या  ते  छट्ठ मस्सानं  अच्चयेन,

     असोको धम्मिको राजनो परिनिब्बोतोति।

    इसि     महा     पंथ      राजनो    असोको,

    चक्क  वतिस्स  धम्मरजिक   थूपं  करोति।"

                  - उत्तरविहारठ्ठकथायं - थेरमहिन्द


   9) सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में

    अनागारिक धम्मपाल ने 1931 में तक्षशिला

    से विश्वगुरु तथागत गोतम बुद्ध की धातु

   (अस्थि अवशेष) को लाकर स्थापित किया ।   




               भवतु सब्ब मंगलं


जय भीम जय भारत नमोः बुद्धाय


बी.एल. बौद्ध


               -               -               -

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