#यह_शिल्पचित्र_चीन_देश_की_बौध्द_गुफाओ_से_लिया_गया
( ह्वेंनसांग चीनी यात्री )
किस तरह हमारे इतिहास को काल्पनिक कहानियों में बदला गया
बोधिसत्व #समण पुष्कलावती मैं रहकर अपने अंधे माता-पिता की सेवा करते थे I
एक दिन वे अपने अंधे माता-पिता के लिए फल लाने गए थे। तभी एक राजा जो शिकार के लिए निकले समण को अनजाने में बिष-बाण मार दिए I
समण बोधिसत्व मरे नहीं बल्कि उनका घाव औषधि से ठीक हो गया I
माता - पिता की सेवा करनेवाले बोधिसत्व समण की स्मृति में पुष्कलावती मैं स्तूप बना था,जिसका जिक्र ह्वेनसांग अपनी यात्रा वृतांत में करते हैं I
यहीं बोधिसत्व समण का इतिहास श्रवण कुमार की कथा के नाम से वैदिक ब्राह्मणी धर्म ग्रंथ पुराणों में दर्ज है I
जिसकी नकल वैदिक ब्राह्मणों पंडित पुरोहितों ने अपने ग्रंथों में लिखा है... सिर्फ लिखा है कोई भी जमीनी एविडेंस तत्थ्य मौजूद नहीं।
( ह्वेनसांग के यात्रा )
बी.एल. बौद्ध
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