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होली क्यों मनाई जाती है ? | होली कोई #त्योहार नहीं #शाहदत है !

 

होली मनाने से पहले होली के बारे मे एक बार जरूर पूरी पोस्ट पढ़े 

#होली कोई #त्योहार नहीं #शाहदत है !

प्रह्लाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप था। 

हिरण्यकश्यप हरिद्रोही अर्थात आज का आधुनिक हरिदोई जिला जो उत्तर प्रदेश में है वहाँ का राजा था 

( हरि = ईश्वर और द्रोही = द्रोह करने वाला यानि यहाँ के लोग ईश्वर को नहीं मानते थे ) 

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।

होलिका #युवा और #बहादुर लड़की थी। 

वह आर्यों से युद्ध में हिरण्यकश्यप के समान ही

लड़ती थी।

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद निकम्मा और अवज्ञाकारी था।

आर्यों ने उसे सुरा (शराब ) पिला- पिलाकर नशेड़ी बना दिया था।

जिससे वह आर्यों का दास (भक्त) बन गया था।

नशेड़ी हो जाने के कारण वह अपने नशेड़ी साथियों के 

साथ बस्ती से बाहर ही रहता था।

  # पुत्र मोह के कारण प्रह्लाद की माॅ अपनी ननद होलिका से उसके लिए खाना (भोजन) भेजवा दिया करती थी।

एक दिन होलिका शाम के समय जब उसे भोजन देने गयी तो नशेड़ी आर्यों ने उसके साथ बदसलूकी की और फिर उसे जलाकर मार डाला। 



प्रातः तक जब होलिका घर न पहुंची तब राजा को बताया गया।

राजा ने पता लगवाया तो मालूम हुआ कि शाम को 

होलिका इधर गयी थी लेकिन 

वापस नहीं आई।

तब राजा ने उस क्षेत्र के आर्यों को पकड़वाकर और उनके मुॅह पर कालिख पोतवाकर माथे पर कटार या तलवार से चिन्ह बनवा दिया और घोषित कर दिया कि ये कायर लोग हैं।

 #  साहित्य में "वीर" शब्द का अर्थ है --- बहादुर या बलवान।

#वीर के #आगे 'अ'  लगाने पर #अवीर हो जाता है।

अवीर का मतलब कायर या बुजदिल

होली के दिन लोग माथे पर जो  लाल. हरा. पीला और लाल लगाते हैं उसे अवीर कहते हैं।

यानि कि इस देश के सभी लोग होली के दिन अपनी बहन /बुआ का #शहादत दिवस मनाने के बजाय खुशी खुशी स्वयं से "कायर" बनते हैं और खुशियाँ भी मनाते है 

अवीर लगाना #कायरता की #निशानी है

SC. ST. OBC. #MINORITY को यह नहीं लगाना चाहिए न ही होली में खुशिया मनानी चाहिए।

बल्कि Sc St Obc Minority को होली को होलिका शहादत- #दिवस के रूप में मनाना चाहिए।

जिस समय यह घटना घटी थी उस समय जातियाॅ नहीं थीं जातियां बाद में बनी।

इस कारण होलिका ( DNA रिपोर्ट के अनुसार ) सभी St,Sc Obc,Minority की बहन/बुआ हुई ।

हर नारी का सम्मान होना चाहिए।


जय भीम जय भारत नमोः बुद्धाय


बी.एल. बौद्ध

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