मुहम्मद गोरी से लेकर बहादुर शाह जफर तक करीब साढ़े पांच सौ वर्षों तक के मुगलों के शासन काल में पण्डित, पुजारी, ऋषि मुनि, ब्राह्मण, संस्कृत के विद्वान, संस्कृत के कबियों को मुगलों से कोई परेशानी या दिक्कत नहीं रही। तभी तो इन लोगों ने मुगलों का कोई प्रतिकार नहीं किया और न ही मुगलों के बिरूद्ध कोई आन्दोलन किया? इस दौर में जितने धार्मिक ग्रंथ या महाकाव्य लिखे गये उनमें मुगलों के बिरूद्ध एक शब्द भी नहीं लिखा गया। यहां तक कि तुलसी के रामचरितमानस में भी न तो हिन्दू शब्द का इस्तेमाल किया गया और न ही तुलसी ने मुगलों के बिरूद्ध एक शब्द भी लिखा जबकि तुलसी दास मुग़ल सम्राट अकबर के समकालीन थे तथा अकबर के समय में ही धर्म परिवर्तन ज्यादा हुआ। यहां तक कि तमाम प्रभावी हिन्दू राजपूत राजाओं ने मुगल सम्राट अकबर और मुगल राजकुमारों से अपनी बहन बेटियों की शादियां की तथा रोटी बेटी का सम्बंध बनाया । दोनों ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई । क्या मामला बिगड़ गया कि आज ये पण्डित पुजारी और इनकी पार्टी मुसलमानो से घृणा करने लगे हैं ?शायद आज वोट का मामला है इसीलिए मुसलमानों और हिन्दुओं के बीच घृणा पैदा कर वोट बैंक बनाने का काम किया जा रहा है ।
भारत पर अंग्रेजों का शासन हुआ तो अंग्रेजों ने भारतीय सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक ब्यवस्था की विसंगतियों को समाप्त करने हेतु धुआं धार नये कानून बनाने शुरू किये और शिक्षा का प्रसार कर योग्यता के आधार पर नौकरियां देना शुरू कर दिया ।न्याय ब्यवस्था की विसंगतियों को भी दूर कर सबके लिए एक तरह का कानून बनाया । इसके पहले न्याय ब्यवस्था जाति-धर्म पर आधारित थी ।इस बदलाव से ब्राह्मणवादी शक्तियां अंग्रेजों से क्रूद्ध हो गयीं । उन्हें यह खतरा महसूस होने लगा कि यदि अंग्रेज कुछ दिन और भारत में रह गये तो शूद्रो को सवर्णों की बराबरी में पहुंचा देंगे तथा ब्राह्मणों की बिशिष्टता समाप्त हो जायेगी ।इस खतरे को भांपकर उन्होंने अतिशीघ्र अंग्रेजों को भारत से भगाने का षड़यंत्र किया और इस बात का प्रचार किया कि हम अंग्रेजो के गुलाम है इसलिए हमें आजादी चाहिए। शूद्रो ने उनकी चाल को नहीं समझा और अंग्रेजों को भगाने का आंदोलन छिड़ गया तथा शूद्रो ने जमकर इस आंदोलन में हिस्सा लिया । गौरतलब है कि अंग्रेजों ने भारत के विकास के लिए सड़कें,रेल लाइन हवाई मार्गों,नदी पुलों का , विशाल भवनों का निर्माण कराया जिसका आज भी हम उपभोग कर रहे हैं किन्तु हमने जल्दबाजी करके अपना ही नुकसान कर दिया।
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