दक्षिण भारत के एक स्मारक स्तंभ में लिखा है ...
-महात्मा ज्योतिबा फुले-
शूद्र आंदोलन के पहले क्रांतिकारी महानायक थे,महात्मा ज्योतिबा फुले जिन्होंने भारत में व्याप्त मनुवाद की नींव हिलाकर समूचे भारत के बहुजनों को जाग्रत कर आंदोलित कर दिया- (ज्योतिबा फुले -१८२७-१८९ ० ) 1827-1890
-छत्रपति शाहूजी महाराज- ( १८७४-१९ २२ ) 1874-1922
शूद्र आंदोलन के दूसरे महापुरुष थे छत्रपति शाहू जी महाराज वे विश्व प्रसिद्ध छत्रपति शिवाजी महराज के वंशज और कुर्मी जाति के थे एवं ओबीसी के सदस्य थे, महाराष्ट्र के कोल्हापुर राज्य के राजा थे,उनके पिताजी के समय से उन्होंने देखा कि राज कर्मचारी सभी ब्राह्मण थे,शाहू जी महाराज १ ९ ०२ (1902) में राजा बनने के बाद राज्य में शूद्रों के लिए ५० % (50%) पद संरक्षित कर दिया,भारत के इतिहास में यह प्रथम संरक्षण व्यवस्था शुरू हुई,पूर्व बंगाल में महा मनीषी श्री गुरु चाँद ठाकुर नें भी १ ९ ०७ 1907 में अविभक्त बंगाल में प्रथम संरक्षण व्यवस्था चालू की, शाहू जी महाराज शूद्रों के लिए राजकोष से उनके लिए स्कूल कॉलेज एवं हॉस्टल का निर्माण किया.
शूद्र आंदोलन के तीसरे मनीषी दक्षिण भारत के पेरियार रामास्वामी नायकर थे जो द्रविड़ ओबीसी नेता थे,कट्टर आर्य विद्वेषी ,विशेषकर ब्राह्मण विद्वेषी थे,उनका मानना था कि यही आर्य सभ्यता,जिससे दक्षिण भारत के द्रविड़ सभ्यता को निगल लिया है,रामास्वामी नायकर एक वैचारिक तार्किक विद्रोही एवं नास्तिक थे,वे कहते थे जहां पर भी मनुवादी अपना अनैतिक विष डालने की कोशिश करेगा ,उस प्रतिष्ठान का हम समूल नाश करेंगे,
उन्होंने इसके लिए बाकायदा एक आंदोलन चलाया था,
उस आंदोलन का नाम था आत्म सम्मान आन्दोलन " ( Self Respect Movement ),जिसके उद्देश्य अति महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक थे-
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