सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा है यह प्रतिमा 1500साल पुरानी है

 क्या आपने कभी सोचा है...

राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा है यह प्रतिमा 1500साल पुरानी है , (यह प्रतिमा 5सदी गुप्त काल की है )और इस हॉल में शपथ-ग्रहण समारोह आयोजित किये जाते है राष्ट्रपति द्वार कराए जाने वाले शपथ-ग्रहण समारोह में ,यह प्रतिमा पृष्टपट की तरह होती है

भारत देश के कई गणमान्य हस्तियों ने बुद्ध की इस प्रतिमा के सामने भारत और भारत के सविधान के प्रति वफादार रहने की कसम खाई है


राष्ट्रपति भवन का निर्माण कार्य साल 1913 में शुरू हुआ था और इसे बनने में 17 साल लगे। इसको बनाने के लिए लगभग 23,000 मजदूरों को काम पर लगाया गया था। 23,000 मजदूरों में से 6,000 हजार मजदूर सिर्फ पत्थर तरासने का काम करते थे। राष्ट्रपति भवन का डिज़ाइन या आर्किटेक्ट को लूटियंस ने तैयार किया था। इसलिए हम दिल्ली को लूटियंस दिल्ली के नाम से भी जानते हैं। लूटियंस के बारे में कहा जाता है कि उसका चश्मा गोल था। इसलिए वह गोलाकार डिजाइन ज्यादा बनाता था। ▪ राष्ट्रपति भवन में गौतम बुद्ध की मूर्ति लगाई गई है। यह बुद्ध की मूर्ति बेवजह नही बल्कि काफी सोच समझकर और गहन मंथन कर लगाई गई है। राष्ट्रपति भवन में अक्सर विश्व के दूसरे देशो के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शासनाध्यक्ष आते रहते है। भारत में बुद्ध ही एक महामानव है, जिसकी सारे विश्व में पहचान बनी है। सारे विश्व के लोग बुद्ध को जानते है। बुद्ध के शांति के सन्देश से सारा विश्व परिचित है। आज अन्तराष्ट्रीय स्तर पर शांति की आवश्यकता जरूरत बन चुकी है। काल्पनिक देवी देवताओं की मूर्ति लगाकर विश्व में भारत की जगहंसाई करना है क्या ? देश की इज्जत - आबरू बचाने में बुद्ध ही पर्याप्त है। ▪ राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ा रही है मथुरा कला शैली में लाल बलुए पत्थर पर बनी मूर्तियां देश ही नहीं विदेश में भी अपनी ख्याति के लिए मशहूर हैं । कचहरी के समीप से खुदाई में मिली भगवान बुद्ध की खड़ी व करीब आठ फीट ऊंची मूर्ति, जो पांचवीं शताब्दी की गुप्तकाल की सबसे सुंदर बुद्ध प्रतिमा मानी जाती है, उसको राष्ट्रपति भवन भेज दिया गया। यह मूर्ति राष्ट्रपति भवन के अशोक हाॅल को सुशोभित कर रही है। इस मूर्ति की सुंदरता को देखकर ही इसे राष्ट्रपति भवन ले जाया गया था। वहीं इसी तरह की एक और मूर्ति संग्रहालय में स्थित है। दरबार हॉल, मार्बल म्यूजियम हॉल, अशोका हॉल में बुद्ध प्रतिमाएं लगी हुई है ।


बुद्धम् शरणम् गच्छामि

     नमोबुद्धाय

बी.एल. बौद्ध

<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-5460100888476302"

     crossorigin="anonymous"></script>


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

 क्रांतिकारी जय भीम  सिंधु घाटी की सभ्यता से यह  बात साबित होती है कि  सिंधु घाटी की सभ्यता पुरुष प्रधान सत्ता नहीं थी    सिंधु घाटी की सभ्यता स्त्री प्रधान सत्ता थी स्त्री ही घर की प्रमुख हुआ करती थी मुझे यह बताने की जरूरत नहीं  स्त्री प्रधान  सत्ता के कारण सिंधु घाटी की सभ्यता एक उन्नत सभ्यता थी  आर्यों के भारत पर कब्जा करने  के साथ ही   भारत का परिदृश्य बदल गया  भारत  अचानक पुरुष प्रधान देश बन गया स्त्री दमन सोशण का पर्याय बन गई   जो स्त्री कल तक घर की  प्रधान हुआ करती थी उसकी तक़दीर में पति के साथ सती होना लिख दिया गया  कल तक जिस स्त्री के फैसले परिवार के लिए  मान्य होते थे  उसे स्त्री के तकदीर में देवदासी होना लिख दिया गया बिना उसकी  मर्जी के लोग उसका फैसला करने लगे  सिंधु घाटी की उन्नत सभ्यता यह बताने के लिए काफी है कि स्त्रियों का   बौद्धिक स्तर  कितना ऊंचा और कितना बेहतर रहा होगा   स्त्रियों को दिमाग से विकलांग बनाने के लिए और उनका बौद्धिक स्तर नीचे ग...

हमारा देश खतरे में क्यों है जानिए

 समय निकालकर पूरा जरुर पढेI 1 :- जब दो वोट के अधिकार के लिए बाबा साहब लंदन में अंग्रेजों से लड़ रहे थे। तो उस समय मो० अली जिन्ना और सर आगार खां नाम के दो मुसलमान भाइयो ने बाबा साहब का साथ दिया था। . 2 :- जब ज्योतिबा फुले हमारे लिए पहली बार स्कूल खोल रहे थे तब उस समय उस्मान शेख नाम के मुसलमान भाई ज्योतिबा फुले को  जमीन दिया था। . 3 :- माता सावित्री बाई फुले को उस्मान शेख की बहन फातिमा शेख ने सावित्री बाई फुले का साथ दिया और पहली शिक्षिका भी हुई। . 4 :- जब बाबा साहब हमें पानी दिलाने के लिए सत्यग्रह कर रहे थे तो उस सत्यग्रह को करने के लिए जमीन मुसलमान भाइयों ने दिया था। . 5 :- बाबा साहब को संविधान लिखने के लिए संविधान सभा में नहीं जाने दिया जा रहा था, तब बंगाल के 48% मुसलमान भाइयों ने ही बाबा साहब को चुनकर संविधान में भेजा था। खुद हमारे अपने लोगो ने वोट नही दिया था बाबा साहब को। . 6) मुसलमान टीपू सुल्तान ने हमारी बहन बेटी को तन ढकने का अधिकार दिया था अन्यथा हिन्दू ब्राह्मण के  कारण हमारी बहन बेटी को स्तन खुलें रखने के लिए मजबूर किया गया था 😢 . हमारा दुश्मन मुसलमान नही है। हम...

सम्मान के लिए बौद्ध धर्म परिवर्तन करें --

 सम्मान के लिए धर्म परिवर्तन करें ----- "डा.बी.आर.अम्बेडकर" सांसारिक उन्नति के लिए धर्म परिवर्तन चाहिए मैंने निश्चय कर लिया है कि मैं धर्म परिवर्तन अवश्य करूंगा, सांसारिक लाभ के लिए धर्म परिवर्तन नहीं करूंगा आध्यात्मिक भावना के अलावा और कोई मेरा ध्येय नहीं है,हिन्दू धर्म के सिद्धांत मुझे अच्छे नहीं लगते ये बुद्धि पर आधारित नहीं हैं,मेरे स्वाभिमान के विरुद्ध हैं आपके लिए आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों दृष्टिकोण से धर्म परिवर्तन बहुत जरूरी है, कुछ लोग सांसारिक लाभ के लिए धर्म परिवर्तन करने की कल्पना का उपहास करते हैं,मरने के बाद आत्मा का क्या होगा इसे कौन जानता है ? वर्तमान जीवन में जो सम्मानपूर्वक जीवन नहीं बिता सकता उसका जीवन निरर्थक है आत्मा की बातें करने वाले ढ़ोंगी हैं,धूर्त हैं, हिन्दू धर्म में रहने के कारण जिनका सब कुछ बर्बाद हो चुका हो ,जो अन्न और वस्त्र के लिए मोहताज बन गए हों,जिनकी मानवता नष्ट हो चुकी है ऐसे लोग सांसारिक लाभ के लिए विचार न करें तो क्या वे आकाश की ओर टकटकी लगाए देखते रहेंगे या अगले जन्म में सुखी होने का स्वप्न देखते रहेंगे,पैदाइशी अमीरीपन और मुफ्तखोरीपन ...