20 मार्च 1927 की वजह से हम स्वाभिमानपूर्वक जिंदा हैं- 20 मार्च 1927.महाड़ सत्याग्रह.. दोपहर का समय था, सूर्य किरणों का प्रतिबिंब तालाब के पानी में पङने लगा था, सर्वप्रथम डाँ अम्बेडकर तालाब की सीढ़ियों से निचे उतरे, निचे झुककर अपनी एक अंगुली से पानी को स्पर्श किया, यही वह ऐतिहासिक पल था, जिसने अस्पृश्य वर्ग में क्रान्ति का मार्ग प्रशस्त किया, यह एक प्रतीकात्मक क्रिया थी जिसके द्वारा यह सिद्ध किया गया था कि हम भी मनुष्य है हमें भी अन्य मनुष्यो के समान मानवीय अधिकार है- अंग्रेजी शासनकाल के दौरान 1924में महाराष्ट्र के बम्बई विधानमंडल में एक विधेयक पारित करवाया गया जिसमें सरकार द्वारा संचालित संस्थाएं -अदालत, विधालय, चिकित्सालय, पनघट ,तालाब आदि सार्वजनिक स्थानों पर अछूतो को प्रवेश व उनका उपयोग करने का आदेश दिया गया, कोलाबा जिले में स्थित महाङ में स्थित चवदार तालाब में हालांकि ईसाई, मुस्लमान, फारसी,पशु, कूते सभी तालाब के पानी का उपयोग करते थे लेकिन अछूतो को यहाँ पानी छुने की ईजाजत नहीं थी, सवर्ण हिन्दुओं ने नगरपालिका के आदेश भी मानने से ईनकार कर दिया. अछूतो के अघिकारो को छीन लेने
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