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मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

20 मार्च 1927.महाड़ सत्याग्रह | महाड सत्याग्रह क्यों किया गया था ?

 20 मार्च 1927 की वजह से हम स्वाभिमानपूर्वक जिंदा हैं- 20 मार्च 1927.महाड़ सत्याग्रह.. दोपहर का समय था, सूर्य किरणों का प्रतिबिंब तालाब के पानी में पङने लगा था, सर्वप्रथम डाँ अम्बेडकर तालाब की सीढ़ियों से निचे उतरे, निचे झुककर अपनी एक अंगुली से पानी को स्पर्श किया, यही वह ऐतिहासिक पल था, जिसने अस्पृश्य वर्ग में क्रान्ति का मार्ग प्रशस्त किया, यह एक प्रतीकात्मक क्रिया थी जिसके द्वारा यह सिद्ध किया गया था कि हम भी मनुष्य है हमें भी अन्य मनुष्यो के समान मानवीय अधिकार है-      अंग्रेजी शासनकाल के दौरान 1924में महाराष्ट्र के बम्बई विधानमंडल में एक विधेयक पारित करवाया गया जिसमें सरकार द्वारा संचालित संस्थाएं -अदालत, विधालय, चिकित्सालय, पनघट ,तालाब आदि सार्वजनिक स्थानों पर अछूतो को प्रवेश व उनका उपयोग करने का आदेश दिया गया, कोलाबा जिले में स्थित महाङ में स्थित चवदार तालाब में हालांकि ईसाई, मुस्लमान, फारसी,पशु, कूते सभी तालाब के पानी का उपयोग करते थे लेकिन अछूतो को यहाँ पानी छुने की ईजाजत नहीं थी, सवर्ण हिन्दुओं ने नगरपालिका के आदेश भी मानने से ईनकार कर दिया.        अछूतो के अघिकारो को छीन लेने

होली क्यों मनाई जाती है ? | होली कोई #त्योहार नहीं #शाहदत है !

  होली मनाने से पहले होली के बारे मे एक बार जरूर पूरी पोस्ट पढ़े  #होली कोई #त्योहार नहीं #शाहदत है ! प्रह्लाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप था।  हिरण्यकश्यप हरिद्रोही अर्थात आज का आधुनिक हरिदोई जिला जो उत्तर प्रदेश में है वहाँ का राजा था  ( हरि = ईश्वर और द्रोही = द्रोह करने वाला यानि यहाँ के लोग ईश्वर को नहीं मानते थे )  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। होलिका #युवा और #बहादुर लड़की थी।  वह आर्यों से युद्ध में हिरण्यकश्यप के समान ही लड़ती थी। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद निकम्मा और अवज्ञाकारी था। आर्यों ने उसे सुरा (शराब ) पिला- पिलाकर नशेड़ी बना दिया था। जिससे वह आर्यों का दास (भक्त) बन गया था। नशेड़ी हो जाने के कारण वह अपने नशेड़ी साथियों के  साथ बस्ती से बाहर ही रहता था।   # पुत्र मोह के कारण प्रह्लाद की माॅ अपनी ननद होलिका से उसके लिए खाना (भोजन) भेजवा दिया करती थी। एक दिन होलिका शाम के समय जब उसे भोजन देने गयी तो नशेड़ी आर्यों ने उसके साथ बदसलूकी की और फिर उसे जलाकर मार डाला।  प्रातः तक जब होलिका घर न पहुंची तब राजा को बताया गया। राजा ने पता लगवाया तो मालूम हुआ कि शाम

*मार्च पूर्णिमा का महत्व (पालगुना पूर्णिमा)* | इस दिन पूरे कर्नाटक को धम्मपद उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

  *मार्च पूर्णिमा का महत्व (पालगुना पूर्णिमा)* यह मेदिन पूर्णिमा के दिन था, धन्य, लगभग 20,000 शिष्यों के एक अनुचर के साथ, वेलुवनारमाया, राजगृह से किम्बुलवथपुरा तक अपने पिता, राजा सुद्दोधन, रिश्तेदारों और सख्य कबीले (एक जनजाति में रहने वाले) से मिलने के लिए गए थे। उत्तरी भारत, जिसमें गौतम या शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में हुआ था)। यह कहा जा सकता है कि मेदिन पोया का मुख्य विषय, बुद्ध की राजगृह से किंबुलवथपुरा तक की यात्रा से संबंधित है, इसके सात साल बाद रिश्तेदारों से मिलने के लिए अभिनिस्करमणय। वेसाक पोया दिवस पर बुद्ध हुड प्राप्त करने के बाद, और धम्मचक्कपवत्तन सुत्त- "धम्म का पहिया, एसाला पूर्णिमा के दिन, वह कुछ समय के लिए राजगृह में रहता रहा। राजा सुद्दोधन अपने प्यारे बेटे को देखने की एक बड़ी इच्छा से पीड़ित था। - गौतम बुद्ध। हालाँकि, रॉयल डिग्निटी के कारण, शुद्धोदन ने अपने बेटे- सिद्धार्थ गौतम बुद्ध से मिलने के लिए खुद यात्रा नहीं की, लेकिन, अपने मंत्रियों के नेतृत्व में दूतों के बाद दूतों को किम्बुलवथपुरया की यात्रा करने के लिए बुद्ध से निवेदन किया। ये