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झलकारी बाई की जयंती कब व क्यों मनाई जाती हैं पूरी जानकारी पढ़िए

 क्या आपने झलकारी बाई का नाम सुना है? रानी लक्ष्मीबाई जिनकी वजह से अंग्रेजों से जिंदा बच सकी उन महारानी झलकारी बाई की आज जयंती है। रानी लक्ष्मीबाई की कथा, कहानियों को खूब सराहा गया, खूब पढ़ा, लिखा और जाना गया। उसी इतिहास में झलकारी बाई भी है जिनका अधिक वर्णन नहीं सुना होगा?  आज भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान वीरांगना "झलकारी बाई" का जन्मदिन (22 नवम्बर 1830)  है । तत्कालीन समय में झलकारी बाई को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर तो नहीं मिला किन्तु वीरता और साहस का गुण उनमें बालपन से ही दिखाई देता था। किशोरावस्था में झलकारी की शादी झांसी के पूरनलाल से हुई जो रानी लक्ष्मीबाई की सेना में तोपची थे।  झलकारीबाई शुरुआत में घेरलू महिला थी पर बाद में धीरे–धीरे उन्होंने अपने पति से सारी सैन्य विद्याएं सीख ली और एक कुशल सैनिक बन गईं। झलकारी की प्रसिद्धि रानी झाँसी भी पहुँची और उन्होंने उसे सैनिक बना दिया। झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना के महिला दस्ते दुर्गा दल की सेनापति थी, उनकी वीरता के चर्चे दूर-दूर तक थे। शस्त्र संचालन और घुड़सवारी में निपुण साहसी योद्धा झलकारी

दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी ) कौनसा है?

 तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय माना जाता है. ये तक्षशिला शहर में था, जो प्राचीन भारत में गांधार जनपद की राजधानी और एशिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. माना जाता है विश्वविद्यालय छठवीं से सातवीं ईसा पूर्व में तैयार हुआ था. इसके बाद से यहां भारत समेत एशियाभर से विद्वान पढ़ने के लिए आने लगे. इनमें चीन, सीरिया, ग्रीस और बेबीलोनिया भी शामिल हैं. फिलहाल ये पंजाब प्रांत के रावलपिंडी जिले की एक तहसील है और इस्लामाबाद से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. पहली बार साल 1863 में जमीन के नीचे दबे इस महान विश्वविद्यालय के अवशेष मिले. इसके बाद से इस जगह की भव्यता के बारे में कई बातें सामने आ चुकी हैं. सोचने की बात है कि जिसे दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी कहते हैं, वो आखिर कैसे खत्म हो गया. लेकिन इससे पहले थोड़ा वहां की समृद्धि के बारे में जानते हैं. ये पूरी तरह से विकसित शहर था, जहां पक्के मकान, पानी के निकासी की व्यवस्था, बाजार और मठ, मंदिर थे. ये व्यापार का भी बड़ा केंद्र था और मसालों, मोतियों, चंदन, रेशम जैसी चीजो